और जाते जाते जाने को।
एक और साल है बीत गया।।
जो कल तक थे साथ सभी के।
पलके मीचे पीछे छूट गया।।
रात चढ़ी और दिन ढले।
और जाने वाले चले गए।।
और जो रोके भी न रुके वो समय।
है मानो जैसे दौड़ गया।।
हम आगे तो है बढ़ गए मगर।
ये मन कही है अटक गया।।
एक पल में जो थे सब अपने।
दुजे पल ही सब बिखर गया।।
गए वो जिनको जाना था।
बेगाना सा कुछ पीछे है रह गया।।
जिंदगी की दौड़ में भागते भागते।
ये मन कही है भटक गया।।
जी चाहे है, समय को ले जाए पीछे।
पर वो तो कही है दूर निकल गया।।
फिर क्यों करे है मन अफ़सोस अभी।
अब तो जाने वाला चला गया।।
और जाते जाते जाने को।
एक और साल है बीत गया।।
जो कल तक थे साथ सभी के।
पलके मीचे पीछे छूट गया।।