है नहीं पता मुझे, क्यों ये आंखे हो जाती नम।
है नहीं पता मुझे, क्यों है शब्द जैसे हो जाते गुम।।
हैं नहीं पता मुझे, क्यों इस दिल में तन्हाई हैं पलती।
है नहीं पता मुझे, क्यों ये नैना हर बार है हमें छलती।।
है नहीं पता मुझे, क्यों ये आंखे हो जाती नम।
है नहीं पता मुझे, क्यों है समय जैसे हो जाता थम।।
है नहीं पता मुझे, क्यों बीती बातें हर बार है खलती।
है नहीं पता मुझे, क्यों ये ख्वाबें है इतनी मचलती।।
है नहीं पता मुझे, क्यों ये आंखे हो जाती नम।
है नहीं पता मुझे, क्यों है विश्वास जैसे हो जाता कम।।
है नहीं पता मुझे, क्यों ये विचार है हर मोड़ पर बदलती।
है नहीं पता मुझे, क्यों ये यादें है हमारे वश में नहीं चलती।।
है नहीं पता मुझे, क्यों ये आंखे हो जाती नम।
है नहीं पता मुझे, क्यों है मन जैसे जाता हो जम।।
है नहीं पता मुझे, क्यों ये धार्य की चट्टान है यूं पिघलती।
है नहीं पता मुझे, क्यों ये कर्म का बंधन है हर मोड़ पर हमे बांध लेती।।
है नहीं पता मुझे, क्यों ये आंखे हो जाती नम।
है नहीं पता मुझे, क्यों है शब्द जैसे हो जाते गुम।।
हैं नहीं पता मुझे, क्यों इस दिल में तन्हाई हैं पलती।
है नहीं पता मुझे, क्यों ये नैना हर बार है हमें छलती।।
KEEP READING, KEEP GROWING!